***** सकदम्म छी *****
*******************************की कहिऔ, ककरा सौं कहिऔ,
युगक अजब सन हाल छै I
गुम्म भेल छी, देखि देखि कें,
लागल जे रंगताल छै II
गाम सिमानक बतही पोखरि,
बुढ़बा गाछी छै ओहिना,
किन्तु ने अयलै बुधना घुरि कें,
गाम तेयागि गेलै जहिना,
ओक्कर हाल बुझै लए बुढ़बा
निशदिन भेल बेहाल छै I
गुम्म भेल छी, देखि देखि कें,
लागल जे रंगताल छै II
कोन्टा घर मे चूल्हिक लाथें,
बहा रहलि बहुआसिनि नोर,
बीच ओसारा कनकिरबी कें,
बुढ़िया कय रहलै थम्ह थोर,
एकटा धुंध उदासिक सगरो,
पसरि केने बदहाल छै I
गुम्म भेल छी, देखि देखि कें,
लागल जे रंगताल छै II
सांझ सकाल सुन्न दरबज्जा,
डगमगाइत डिबियाक इजोत,
सुनगि रहल घूरो असगर मे,
लोकक नजरिक भेने इरोत,
भुल्ली महिसि बथान खुटेसल,
नोरे भीजल गाल छै I
गुम्म भेल छी, देखि देखि कें,
लागल जे रंगताल छै II
----- "मधुपांश"
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