Tuesday, 1 January 2019

न्यू इयर की ऐसी poem आप नहीं सुने होंगे।

रिश्ता【तेरा-मेरा】

कितना अजीब है ना,
दिसंबर और जनवरी का रिश्ता ?
जैसे पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा...

दोनों काफ़ी नाज़ुक है, दोनों में गहराई है,
दोनों वक़्त के राही है, दोनों ने ठोकर खायी है...

यूँ तो दोनों का है, वहीं चेहरा-वहीं रंग,
उतनी ही तारीखें और, उतनी ही ठंड......
पर पहचान अलग है दोनों की,
अलग है अंदाज़ और अलग हैं ढंग....

एक अन्त है, एक शुरुआत,
जैसे रात से सुबह, और सुबह से रात.....
एक में याद है, दूसरे में आस,
एक को है तजुर्बा, दूसरे को विश्वास....

दोनों जुड़े हुए है ऐसे, धागे के दो छोर के जैसे,
पर देखो दूर रहकर भी साथ निभाते है कैसे...

जो दिसंबर छोड़ के जाता है
उसे जनवरी अपनाता है....
और जो जनवरी के वादे है
उन्हें दिसम्बर निभाता है....

कैसे जनवरी से दिसम्बर के सफर में
११ महीने लग जाते है....
लेकिन दिसम्बर से जनवरी बस
एक पल में पहुंच जाते है....!!

जब ये दूर जाते है, तो हाल बदल देते है,
और जब पास आते है, तो साल बदल देते है...

देखने में ये साल के महज़ दो महीने ही तो लगते है,
लेकिन...
सब कुछ बिखेरने और समेटने का वो कायदा भी रखते है...

दोनों ने मिलकर ही तो
बाकी महीनों को बांध रखा है,
अपनी जुदाई को दुनिया के लिए
एक त्यौहार बना रखा है..!!!!

             😊Happy Year Ending 😊

Whatsapp से साभार

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